अपठित काव्यांश

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अपठित काव्यांश: Overview

इस विषय में हम अपठित काव्यांशों को हल करने की विधि से अवगत होंगे।

Important Questions on अपठित काव्यांश

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गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न के लिए सबसे उचित विकल्प चुनिए:

लोक कथाएँ हमारे आम जीवन में सदियों से रची-बसी हैं। इन्हें हम अपने बड़े-बूढ़ों से बचपन से ही सुनते आ रहे हैं। लोक कथाओं के बारें में यह भी कहा जाता है कि बचपन के शुरूआती वर्षों में बच्चों को अपने परिवेश की महक, सोच व कल्पना की उड़ान देने के लिए इनका उपयोग जरूरी है। हम यह भी सुनते हैं कि बच्चों के भाषा के विकास के सन्दर्भ में भी इन कथाओं कि उपयोगिता महत्वपूर्ण हैं। ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इन लोक कथाओं के विभिन्न रूपों में हमें लोक जीवन के तत्व मिलते हैं, जो बच्चों के भाषा विकास में उल्लेखनीय भूमिका निभाते हैं। अगर हम अपनी पढ़ी हुई लोक कथाओं को याद करें तो सहजता से हमें इनके कई उदाहरण मिल जाते हैं। जब हम कहानी सुना रहे होते हैं, तो बच्चों से हमारी यह अपेक्षा रहती है कि वे पहली घटी घटनाओं को जरूर दोहराएं।  बच्चे भी घटना को याद रखते हुए साथ-साथ मजे से दोहराते हैं। इस तरह कथा सुनाने की इस प्रक्रिया में बच्चे इन घटनाओं को एक क्रम में रखकर देखते हैं। इन क्रमिक घटनाओं में एक तर्क होता है, जो बच्चों के मनोभावों से मिलता-जुलता हैं।

"कहानी की क्रमिक घटनाओं में एक तर्क होता है, जो बच्चों के मनोभावों से मिलता-जुलता हैं।" वाक्य किस ओर संकेत करता है?

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काव्यांश को ध्यान से पढ़िए और उस पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिए।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आंधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूंघट सरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,
‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’ –
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

क्षितिज अटारी गहराई दामिनी दमकी,
‘क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’,
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

'पाहुन' शब्द का अर्थ है :

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काव्यांश को ध्यान से पढ़िए और उस पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिए।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आंधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूंघट सरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,
‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’ –
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

क्षितिज अटारी गहराई दामिनी दमकी,
‘क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’,
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

बूढ़े पीपल ने किस प्रकार मेघों का स्वागत किया?

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काव्यांश को ध्यान से पढ़िए और उस पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिए।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आंधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूंघट सरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,
‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’ –
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

क्षितिज अटारी गहराई दामिनी दमकी,
‘क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’,
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

पूरी कविता में कौन-सा अलंकार है?

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काव्यांश को ध्यान से पढ़िए और उस पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिए।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आंधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूंघट सरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,
‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’ –
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

क्षितिज अटारी गहराई दामिनी दमकी,
‘क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’,
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

'बरस बाद सुधि लीन्हीं' इस पंक्ति का भाव किसमें है?

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काव्यांश को ध्यान से पढ़िए और उस पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिए।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आंधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूंघट सरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,
‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’ –
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

क्षितिज अटारी गहराई दामिनी दमकी,
‘क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’,
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

मेघों के आने से लगता है, का भावार्थ:

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काव्यांश को ध्यान से पढ़िए और उस पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिए।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आंधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूंघट सरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,
‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’ –
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

क्षितिज अटारी गहराई दामिनी दमकी,
‘क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’,
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

'मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के' पंक्ति का भाव किसमें है?

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काव्यांश को ध्यान से पढ़िए और उस पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिए।

हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
नदियाँ, पर्वत, हवा, पेड़ से आती है बहार।
बचपन, कोमल तन-मन लेकर,
आए अनुपम जीवन लेकर,
जग से तुम और तुमसे है ये प्यारा संसार,

हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
वृंद-लताएँ, पौधे, डाली
चारों ओर भरे हरियाली
मन में जगे उमंग यही है सृष्टि का उपहार,
हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,

मुश्किल से मिलता है जीवन,
हम सब इसे बनाएँ चंदन
पर्यावरण सुरक्षित न हो तो है सब बेकार
हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार।

अनुपम से अभिप्राय है :

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काव्यांश को ध्यान से पढ़िए और उस पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिए।

हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
नदियाँ, पर्वत, हवा, पेड़ से आती है बहार।
बचपन, कोमल तन-मन लेकर,
आए अनुपम जीवन लेकर,
जग से तुम और तुमसे है ये प्यारा संसार,

हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
वृंद-लताएँ, पौधे, डाली
चारों ओर भरे हरियाली
मन में जगे उमंग यही है सृष्टि का उपहार,
हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,

मुश्किल से मिलता है जीवन,
हम सब इसे बनाएँ चंदन
पर्यावरण सुरक्षित न हो तो है सब बेकार
हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार।

'जग से तुम और तुम से है यह प्यारा संसार' पंक्ति के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि:

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काव्यांश को ध्यान से पढ़िए और उस पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिए।

हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
नदियाँ, पर्वत, हवा, पेड़ से आती है बहार।
बचपन, कोमल तन-मन लेकर,
आए अनुपम जीवन लेकर,
जग से तुम और तुमसे है ये प्यारा संसार,

हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
वृंद-लताएँ, पौधे, डाली
चारों ओर भरे हरियाली
मन में जगे उमंग यही है सृष्टि का उपहार,
हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,

मुश्किल से मिलता है जीवन,
हम सब इसे बनाएँ चंदन
पर्यावरण सुरक्षित न हो तो है सब बेकार
हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार।

कवि यह संदेश देना चाहता है कि :

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काव्यांश को ध्यान से पढ़िए और उस पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिए।

हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
नदियाँ, पर्वत, हवा, पेड़ से आती है बहार।
बचपन, कोमल तन-मन लेकर,
आए अनुपम जीवन लेकर,
जग से तुम और तुमसे है ये प्यारा संसार,

हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
वृंद-लताएँ, पौधे, डाली
चारों ओर भरे हरियाली
मन में जगे उमंग यही है सृष्टि का उपहार,
हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,

मुश्किल से मिलता है जीवन,
हम सब इसे बनाएँ चंदन
पर्यावरण सुरक्षित न हो तो है सब बेकार
हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार।

कविता ने सृष्टि का उपहार किसे कहा है :

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काव्यांश को ध्यान से पढ़िए और उस पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिए।

हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
नदियाँ, पर्वत, हवा, पेड़ से आती है बहार।
बचपन, कोमल तन-मन लेकर,
आए अनुपम जीवन लेकर,
जग से तुम और तुमसे है ये प्यारा संसार,

हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
वृंद-लताएँ, पौधे, डाली
चारों ओर भरे हरियाली
मन में जगे उमंग यही है सृष्टि का उपहार,
हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,

मुश्किल से मिलता है जीवन,
हम सब इसे बनाएँ चंदन
पर्यावरण सुरक्षित न हो तो है सब बेकार
हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार।

कौन-सी चीजें बहार लेकर आती हैं :

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काव्यांश को ध्यान से पढ़िए और उस पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिए।

हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
नदियाँ, पर्वत, हवा, पेड़ से आती है बहार।
बचपन, कोमल तन-मन लेकर,
आए अनुपम जीवन लेकर,
जग से तुम और तुमसे है ये प्यारा संसार,

हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
वृंद-लताएँ, पौधे, डाली
चारों ओर भरे हरियाली
मन में जगे उमंग यही है सृष्टि का उपहार,
हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,

मुश्किल से मिलता है जीवन,
हम सब इसे बनाएँ चंदन
पर्यावरण सुरक्षित न हो तो है सब बेकार
हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार।

'हरा भरा हो जीवन' का अर्थ है :

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काव्यांश को ध्यान से पढ़िए और उस पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिए।

कितनी करुणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग
गाता प्राणों का तार-तार
अनुराग भरा उन्माद राग

आंसू लेते वे पथपखार
जो तुम आ जाते एक बार।
हंस उठते पल में आर्द्र नयन
धुल जाता होंठो से विषाद

छा जाता जीवन में वसंत
चिरसंचित विराग लुट जाता
आंखें देतीं सर्वस्व वार
जो तुम आ जाते एक बार।

कवयित्री के अनुसार एक बार आ जाने से जीवन में _______ छा जाता है।

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काव्यांश को ध्यान से पढ़िए और उस पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिए।

कितनी करुणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग
गाता प्राणों का तार-तार
अनुराग भरा उन्माद राग

आंसू लेते वे पथपखार
जो तुम आ जाते एक बार।
हंस उठते पल में आर्द्र नयन
धुल जाता होंठो से विषाद

छा जाता जीवन में वसंत
चिरसंचित विराग लुट जाता
आंखें देतीं सर्वस्व वार
जो तुम आ जाते एक बार।

चिरसंचित में उपसर्ग है :

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काव्यांश को ध्यान से पढ़िए और उस पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिए।

कितनी करुणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग
गाता प्राणों का तार-तार
अनुराग भरा उन्माद राग

आंसू लेते वे पथपखार
जो तुम आ जाते एक बार।
हंस उठते पल में आर्द्र नयन
धुल जाता होंठो से विषाद

छा जाता जीवन में वसंत
चिरसंचित विराग लुट जाता
आंखें देतीं सर्वस्व वार
जो तुम आ जाते एक बार।

पखार का अर्थ है :

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काव्यांश को ध्यान से पढ़िए और उस पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिए।

कितनी करुणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग
गाता प्राणों का तार-तार
अनुराग भरा उन्माद राग

आंसू लेते वे पथपखार
जो तुम आ जाते एक बार।
हंस उठते पल में आर्द्र नयन
धुल जाता होंठो से विषाद

छा जाता जीवन में वसंत
चिरसंचित विराग लुट जाता
आंखें देतीं सर्वस्व वार
जो तुम आ जाते एक बार।

पल भर में किस प्रकार के नेत्र हँस उठते हैं :

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काव्यांश को ध्यान से पढ़िए और उस पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिए।

कितनी करुणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग
गाता प्राणों का तार-तार
अनुराग भरा उन्माद राग

आंसू लेते वे पथपखार
जो तुम आ जाते एक बार।
हंस उठते पल में आर्द्र नयन
धुल जाता होंठो से विषाद

छा जाता जीवन में वसंत
चिरसंचित विराग लुट जाता
आंखें देतीं सर्वस्व वार
जो तुम आ जाते एक बार।

अनुराग का विपरीतार्थक है:

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काव्यांश को ध्यान से पढ़िए और उस पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिए।

कितनी करुणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग
गाता प्राणों का तार-तार
अनुराग भरा उन्माद राग

आंसू लेते वे पथपखार
जो तुम आ जाते एक बार।
हंस उठते पल में आर्द्र नयन
धुल जाता होंठो से विषाद

छा जाता जीवन में वसंत
चिरसंचित विराग लुट जाता
आंखें देतीं सर्वस्व वार
जो तुम आ जाते एक बार।

रास्ते में करुणा और संदेश क्या बन कर बिछ जाते हैं :

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"हेमन्त में बहुधा घनों से पूर्ण रहता व्योम है,
पावस निशाओं में तथा हँसता शरद का सोम है।" 

दिए गए अपठित पद्यांश में 'व्योम' शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या नहीं है?